आज तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा कि मैं बात को शुरू कहाँ से और कैसे करूँ। शायद ये भी हो सकता है, दिमाग में कुछ और, हम कहना कुछ और चाहते है। ठीक उसी प्रकार हम कहना कुछ और चाहते है और कह कुछ और जाते है।
हमारी लिखाबट और अल्फ़ाज़ दोनों में अलग भावनाएं होती है। लिखाबट से हम अपने विचार तो व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन भावनाओं को जाहिर नहीं कर सकते हैं। और अगर सब ठीक होता है, तो फिर सबकुछ सामने वाले व्यक्ति जिसके साथ आपने अपने विचार व्यक़्त किए है। ये भी निर्भर करता है, कि वो किस स्थिति में है, क्या सोच रहें है, या क्या समझ रहें है, यह भी बहुत माईने रखता है।
हमारी आम ज़िंदगी में बहुत से किस्से होते रहते है, हमें उनसे सीख भी मिलती है। और कई बार हम भी बहुत ढ़ीट होते है, कि सुधारना ही नहीं चाहते है। इस बीच इन बातों के अनचाहें अंजाम भी नज़र आते है। न समझी के कारण बहुत से मसले भी खड़े हो जाते है। उन मसलो का हल ख़ामोश बैठ जाने से नहीं होता है। उनको सुलझाने के लिए हमें बातचीत का सिलसिला रखना चाहिए और जो भी खामियां हुई है, उनको दूर करना चाहिए, और यही कही-न-कही मनुष्यताः है।
हमें बहुत ऐहतिहात रखना पड़ता है। गलतियों से बेशक हमें सीखने को मिलता है, फिर भी आप उनको दोहराते है। लेकिन शायद आप सुधारना ही नहीं चाहते है। और यही वजहों से आप उनको ठीक करना भी पसंद नहीं करते हैं।
किसी के दिल में अपनी जगह बनाना, और अपने भी दिल और दिमाग में किसी के प्रति अच्छी छवि धारण करना इतना आसान नहीं होता है। वैसे तो इन बातों से मतलब नहीं होता है, लेकिन उनके बारे में कुछ भी सोचने के लिए भी, हमें उनकी आदत, रवैया और सोच सबसे वाकिफ होना पड़ता है।
रिश्तों और सम्बन्धों की बात की जाये तो, कुछ रहस्यमय धारावाहिक और फिल्में जो हमें कुछ सीखने के लिए बनाई गई है, बस उनको देखने के बाद हम कुछ और ही सोचना शुरू कर देते हैं। हमें ऐसे कारकों से दूर रहना चाहिए जो हमारे जीवन में समस्या उत्पन्न कर देंगे। और आजकल मानवता के नाते चल रहे रिश्तों के बारे में हम ठीक वैसे ही सोचना शुरू कर देते है। और आप लांछन लगाना शुरू कर देते है। कहीं न कहीं ये वाकई आपकी सोच को जाहिर करता है। कई बार हम बस देखते रहते है, और अपने मन में मनगढ़ंत कहानियों को बनाते रहते है। फिर ये भी डर रहता है की कहीं कुछ पूछने पर सामने वाले की क्या प्रतिक्रिया होगी और इस वजह से कुछ भी नहीं पूछते है, और इधर-उधर की बाते को सोचकर बस खुद को दुःख भी पहुंचाते है। अगर आपको किसी भी व्यकित विशेष से कोई भी समस्या है तो, आप उस समस्या को, उन लोगो के समक्ष रखिये और आपको हो रही समस्या को हल कीजिये। और इससे हमारी गलतफहमियां दूर हो जाती है।
ये आपके लिए और अन्य लोगों के लिए भी ठीक रहता है। इससे आपसी मतभेद और रिश्तो में कोई भी दरार नहीं आती है। ये आपके जीवन को सरल और सहज बनाएगा। और ऐसी समस्याओं से आपको निज़ात मिलेगी। अच्छी सोच के साथ आपका और अन्य लोगो का जीवन आसान होगा।
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अजय गंगवार
16-May-2020 2:53 AM
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हमारी लिखाबट और अल्फ़ाज़ दोनों में अलग भावनाएं होती है। लिखाबट से हम अपने विचार तो व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन भावनाओं को जाहिर नहीं कर सकते हैं। और अगर सब ठीक होता है, तो फिर सबकुछ सामने वाले व्यक्ति जिसके साथ आपने अपने विचार व्यक़्त किए है। ये भी निर्भर करता है, कि वो किस स्थिति में है, क्या सोच रहें है, या क्या समझ रहें है, यह भी बहुत माईने रखता है।
हमारी आम ज़िंदगी में बहुत से किस्से होते रहते है, हमें उनसे सीख भी मिलती है। और कई बार हम भी बहुत ढ़ीट होते है, कि सुधारना ही नहीं चाहते है। इस बीच इन बातों के अनचाहें अंजाम भी नज़र आते है। न समझी के कारण बहुत से मसले भी खड़े हो जाते है। उन मसलो का हल ख़ामोश बैठ जाने से नहीं होता है। उनको सुलझाने के लिए हमें बातचीत का सिलसिला रखना चाहिए और जो भी खामियां हुई है, उनको दूर करना चाहिए, और यही कही-न-कही मनुष्यताः है।
हमें बहुत ऐहतिहात रखना पड़ता है। गलतियों से बेशक हमें सीखने को मिलता है, फिर भी आप उनको दोहराते है। लेकिन शायद आप सुधारना ही नहीं चाहते है। और यही वजहों से आप उनको ठीक करना भी पसंद नहीं करते हैं।
किसी के दिल में अपनी जगह बनाना, और अपने भी दिल और दिमाग में किसी के प्रति अच्छी छवि धारण करना इतना आसान नहीं होता है। वैसे तो इन बातों से मतलब नहीं होता है, लेकिन उनके बारे में कुछ भी सोचने के लिए भी, हमें उनकी आदत, रवैया और सोच सबसे वाकिफ होना पड़ता है।
रिश्तों और सम्बन्धों की बात की जाये तो, कुछ रहस्यमय धारावाहिक और फिल्में जो हमें कुछ सीखने के लिए बनाई गई है, बस उनको देखने के बाद हम कुछ और ही सोचना शुरू कर देते हैं। हमें ऐसे कारकों से दूर रहना चाहिए जो हमारे जीवन में समस्या उत्पन्न कर देंगे। और आजकल मानवता के नाते चल रहे रिश्तों के बारे में हम ठीक वैसे ही सोचना शुरू कर देते है। और आप लांछन लगाना शुरू कर देते है। कहीं न कहीं ये वाकई आपकी सोच को जाहिर करता है। कई बार हम बस देखते रहते है, और अपने मन में मनगढ़ंत कहानियों को बनाते रहते है। फिर ये भी डर रहता है की कहीं कुछ पूछने पर सामने वाले की क्या प्रतिक्रिया होगी और इस वजह से कुछ भी नहीं पूछते है, और इधर-उधर की बाते को सोचकर बस खुद को दुःख भी पहुंचाते है। अगर आपको किसी भी व्यकित विशेष से कोई भी समस्या है तो, आप उस समस्या को, उन लोगो के समक्ष रखिये और आपको हो रही समस्या को हल कीजिये। और इससे हमारी गलतफहमियां दूर हो जाती है।
ये आपके लिए और अन्य लोगों के लिए भी ठीक रहता है। इससे आपसी मतभेद और रिश्तो में कोई भी दरार नहीं आती है। ये आपके जीवन को सरल और सहज बनाएगा। और ऐसी समस्याओं से आपको निज़ात मिलेगी। अच्छी सोच के साथ आपका और अन्य लोगो का जीवन आसान होगा।
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अजय गंगवार
16-May-2020 2:53 AM
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इतनी गहरी सोच, बहुत ही सुंदर लिखा है आपने।
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