Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2017

Lyrics Wiki Blog 8 : सिमटने लगी नर्म कुहरे की चादर जवां शाख्सारों ने घूँघट उठाये - साहिर लुधियानवी

***************************** ------------------------------------------ एक मंज़र ------------------------------------------ ***************************** उफक के दरीचे से किरणों ने झांका फ़ज़ा तन गई, रास्ते मुस्कुराये सिमटने लगी नर्म कुहरे की चादर जवां शाख्सारों ने घूँघट उठाये परिंदों की आवाज़ से खेत चौंके पुरअसरार लै में रहट गुनगुनाये हसीं शबनम-आलूद पगडंडियों से लिपटने लगे सब्ज पेड़ों के साए वो दूर एक टीले पे आँचल सा झलका तसव्वुर में लाखों दिए झिलमिलाये ***************************** ------------------------------------------ - साहिर लुधियानवी ------------------------------------------

Lyrics Wiki Blog 7 : चंद कलियाँ नशात की चुन कर, मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ। - साहिर लुधियानवी

|| रद्दे-अमल || साहिर लुधियानवी ||   चंद कलियाँ नशात की चुन कर, मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ।  तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही, तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ। ।   #नशात = खुशियाँ #महव-ए-यास = दुखों में खोय