|| रद्दे-अमल || साहिर लुधियानवी ||
चंद कलियाँ नशात की चुन कर,
मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ।
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही,
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ।।
#नशात = खुशियाँ
#महव-ए-यास = दुखों में खोय
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