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Showing posts from May, 2020

Lyrics Wiki Blog 17 : आम ज़िन्दगी में रिश्तों पर हमारी सोच

आज तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा कि मैं बात को शुरू कहाँ से और कैसे करूँ। शायद ये भी हो सकता है, दिमाग में कुछ और, हम कहना कुछ और चाहते है। ठीक उसी प्रकार हम कहना कुछ और चाहते है और कह कुछ और जाते है। हमारी लिखाबट और अल्फ़ाज़ दोनों में अलग भावनाएं होती है। लिखाबट से हम अपने विचार तो व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन भावनाओं को जाहिर नहीं कर सकते हैं। और अगर सब ठीक होता है, तो फिर सबकुछ सामने वाले व्यक्ति जिसके साथ आपने अपने विचार व्यक़्त किए है। ये भी निर्भर करता है, कि वो किस स्थिति में है, क्या सोच रहें है, या क्या समझ रहें है, यह भी बहुत माईने रखता है। हमारी आम ज़िंदगी में बहुत से किस्से होते रहते है, हमें उनसे सीख भी मिलती है। और कई बार हम भी बहुत ढ़ीट होते है, कि सुधारना ही नहीं चाहते है। इस बीच इन बातों  के अनचाहें अंजाम भी नज़र आते है। न समझी के कारण बहुत से मसले भी खड़े हो जाते है। उन मसलो का हल ख़ामोश बैठ जाने से नहीं होता है। उनको सुलझाने के लिए हमें बातचीत का सिलसिला रखना चाहिए और जो भी खामियां हुई है,...

Lyrics Wiki Blog 16 : अच्छे नजारे देखने से हसरतें पैदा हो जाती हैं 'अजय', इनसे दूर रहने में ही समझदारी है...

source: 8tracks.com इन ऊँची इमारतों के दरमियान, इंतज़ार करने जैसे खूबसूरत नज़ारे कहीं खो है, खिड़कियाँ और रोशनदान तो गायब ही हो गए है, जबसे तल-मंजिल वाले मकान इमारतों में तब्दील हो गए हैं। खिड़कियों पर इंतज़ार करना, या खिड़कियों पर उनका इंतज़ार करना, अब मुश्किलें-न-मुमकिन सा हो गया है, अब तो उनका मंजिला, मेरी तल-मंजिल से बहुत ऊँचा हो गया है।  ज़रा यहाँ आओ न, कुछ दिखाना है, आपको, देखो न... खुला आसमान है, नीचे ज़मीन है, कितना अच्छा नज़ारा है। अच्छे नजारे देखने से हसरतें पैदा हो जाती हैं 'अजय' , इसलिए, इनसे दूर रहने में ही समझदारी है, जितना देखोगे, उतना ललचाओगे, और वहां से कोई समुन्दर नहीं दिखने वाला। -------------------------------------------------------------- अजय गंगवार १३-मई-२०२० १:१५ पूर्वाह्न --------------------------------------------------------------

Lyrics Wiki Blog 15 : Happy Mother's Day 2020

अब तुम बहुत याद आने लगी हो, एक अरसा गुजर गया है, तुमसे मिले हुए, ऐसा लगने लगा है। तुम्हारे हाट का बना हुआ खाना खाये हुए भी बहुत वक़्त हो गया है।  मुझे पता है पिछली वर्ष दिवाली शायद  27 October, 2019 को हुई थी। मुझे न, ये तारीखे याद नहीं रहती है माफ़ करना, गूगल सर्च करके देखी थी मैंने।  पर ये सच है बहुत याद आ रही है आपकी। देखो अब आप ये न कहना कि देख लो कोई गूगल माँ। पर ये रत्ती भर सम्भव नहीं है। क्योकि आप एक ही हो। अब न आज Mother's Day है। आज किसी एक माँ का दिवस नहीं है। ये बहुत ही और स्पेशल दिन है, वो भी दुनिया भर की सभी माँ के लिए।

Lyrics Wiki Blog 14 : क्या? अपने वारे में सोचकर, आपको शर्मिंदगी महसूस होती है

क्या? अपने बारे में सोचकर, आपको शर्मिंदगी महसूस होती है, क्या? कभी आप कुछ और बनना चाहते थे। हर कोई अमीर, ज्यादा बुद्धिमान, ज्यादा सुन्दर और भाग्य के लिए न जाने क्या-क्या करते हैं। मैं बिल्कुल अलग बन गया हूँ, खुद को पहचान भी नहीं पा रहा हूँ। कुछ और बनने की कोशिस में क्या? कभी आपने खुद को खो दिया है, आप मुझे नहीं समझ सकते है। मुझे ये भी नहीं पता मैं कौन हूँ, या मैं क्या कर रहा हूँ, तो फिर आप मुझे कैसे समझोगे। -------------------------------------------------------- From :  #EP44-  The Girl Name Feriha Season 2 -------------------------------------------------------- अजय गंगवार 9-May-2020 3:23 AM #ajayapril1991 #loveUzindgi #बाबूकीजान --------------------------------------------------------

Lyrics Wiki Blog 13 : क्या? वाकई तुम वही हो, जिसकी मुझे तलाश है...

मेरे ख्याल से तुम बस अहसास हो, जिसे मैं देख रहा हूँ वो ख्वाब हो, बिखर न जाऊ मैं इस नींद के खुलने से, या फिर इस रात की महताब हो तुम। क्या? वाकई तुम वही हो, जिसकी मुझे तलाश है, क्या वाकई मैं वही हूँ, या  वाकई यह कोई अहसास है। बहुत कुछ गवा चुका हूँ, अब कुछ और वाकी नहीं, अब जो भी बचा हूँ, क्या? वो काफी नहीं है। ---------------------------------------------------- अजय गंगवार 7-May-2020 1:15 AM #ajayapril1991 #loveUzindgi #बाबूकीजान ----------------------------------------------------

Lyrics Wiki Blog 12 : जिंदगी छोटी नहीं होती 'अजय', लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं

जिंदगी... तूने ही सब सिखाया है, जिंदगी... तूने बदलते मौसम का हाल भी बताया है, उनकी हसरत में कब रात गुजर जाती है, उनकी यादों ने हर पल बहुत जगाया है। जिंदगी छोटी नहीं होती है, लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं, जब तक रास्ते समझ आते हैं, तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है। इक तुम्हारी ही तो खुवाईश थी, अब तुम तो शायद मिल ही जाओगे, लेकिन उस पल ख़ुद को कैसे संभालूँगा, जब तुम इन ख्यालों से दूर जाओगे। किसी ने बहूत खूब ही कहा था, अब शायद वो कही खो गया है, क्या किसी उसके निशां जिस राह पर चला वो गया है। ---------------------------------------------------- अजय गंगवार 4-May-2020 5:48 PM #ajayapril1991 #loveUzindgi #बाबूकीजान ----------------------------------------------------