तू बता...
क्या लिखूँ।
क्या क्या लिखूँ, तू बता...
गोल मोल,
लिख के निकल जाऊ।
या तेरा नाम लेके,
तेरी बदनामी लिखूँ।।
होठों से पिया,
आँखों का पानी लिखूँ।
जिसे चूमे एक अरसा हुआ,
तेरी वो पेशानी लिखुँ।।
बेशर्म होके,
बंद कमरे की कहानी लिखुँ।
पढ़ने वाले चटकारे ले,
जिश्मानी लिखुँ।।
या जैसा था...
वो इश्क़ रूहानी लिखुँ।
या जैसा था...
वो इश्क़ रूहानी लिखुँ।।
पन्ने में समायेगा नहीं,
हुश्न और इश्क़ तेरा।
सोचता हूँ,
तुझपे जिंदगानी लिखूँ।।
--------------------------------------------------------------
अजय गंगवार
31-Jan-2021
#ajayapril1991 #LyricsWikiBlog #MensajeDelAmor
--------------------------------------------------------------
Comments
Post a Comment