ये कैसी शरारत उनके साथ हुई,
वो भीगे भी न थीं,
कैसे भी सही,
कुछ तो शरारत उनकी पलकों के साथ हुई।
वो भीगे भी न थीं,
कैसे भी सही,
कुछ तो शरारत उनकी पलकों के साथ हुई।
कुछ गुमशुम से थे,
कभी आईने के बात भी करने लगे,
छुप-छुप के सबरते थे,
किसी की नज़र न लगे।
कभी आईने के बात भी करने लगे,
छुप-छुप के सबरते थे,
किसी की नज़र न लगे।
न जाने क्या बात हुई,
जो उनके साथ हुई,
लगता तो है मुलाकात हुई,
लगता तो है इस वार कुछ खास हुई।
जो उनके साथ हुई,
लगता तो है मुलाकात हुई,
लगता तो है इस वार कुछ खास हुई।
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